आखिर बेन जॉनसन ही क्यों?

दिन शुक्रवार, 23 सितम्बर, 1988 सिओल, साउथ कोरिया, ओलिंपिक का वो दिन जिसे कोई खेल प्रेमी कभी नहीं भूल सकता. ये वो दिन था जब सभी की आँखे दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले इंसान को देखने के लिए बेकरार थीं. इसमें मुकाबला नौ बार ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले अमेरिका के स्प्रिंटर कार्ल लेविस, 1984 लॉस एंजेल्स में दो ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने वाले, जमैका में पैदा हुए कैनेडियन स्प्रिंटर बेन जॉनसन, 1986 यूरोपियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले, जमैका में पैदा हुए ब्रिटिश स्प्रिंटर लिंफ़ोर्ड क्रिस्टी और 1984 ओलंपिक्स की 4×100 मीटर रिले रेस के गोल्ड मेडल विजेता अमेरिका के कैल्विन स्मिथ के बीच था. रेस शुरू हुई और देखते ही देखते बेन जॉनसन ने 9.79 सेकेंड्स का नया विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए सब को पीछे छोड़ दिया. उसके बाद जो हुआ उसकी वज़ह से 23 सितम्बर 1988 को आज भी ओलिंपिक का ‘काला दिवस’ माना जाता है. बेन जॉनसन डोपिंग में पकड़ा गया, उसका गोल्ड मैडल छीन लिया गया और उसके बनाये रिकॉर्ड को निरस्त कर दिया गया. ये ओलिंपिक में आज तक का सबसे चर्चित डोपिंग केस है, हालाँकि इससे पहले, इससे भी बड़े काले दिवस ओलिंपिक देख चुका था लेकिन उन दिनों को बहुत जल्द भुला दिया गया, जिनका ज़िक्र मैं अपने आने वाले लेखों में करूँगा.
फिलहाल हम जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर बेन जॉनसन क्यों पकड़ा गया? उससे कहाँ चूक हुई? क्या वो बच सकता था? जबकि उसके द्वारा प्रयोग की गयी शक्तिवर्धक प्रतिबंधित दवा, ‘स्टेरॉइड्स’ का प्रयोग खिलाड़ी पिछले करीब 30 सालों से कर रहे थे. इसके अलावा हम ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि इस घटना के बाद बेन जॉनसन का क्या हुआ?

Men’s 100 Meter Race, Seoul Olympic, 1988

दरअसल, ‘स्टेरॉएड्स’ (मुख्यतः टेस्टोस्टेरोन) ख़ास तरह के हॉर्मोन्स होते हैं जो प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर में गोनेड्स (जननांग – नरों में अंडकोष व मादाओं में अंडाशय) और एड्रेनल ग्लैंड्स (अधिवृक्क ग्रंथिओं) में बनता है. इनका मुख्य कार्य यौन लक्ष्णों के विकास, रक्त संचरण और मांसपेशियों का विकास करना होता है. मांसपेशियों पर इसके प्रभाव के कारण स्पोर्ट्स से जुड़े सभी देशों के वैज्ञानिक कई सालों से इसे कृत्रिम रूप से बनाने की कोशिश कर रहे थे और 1935 में सबसे पहले इसकी सफलता जर्मनी के वैज्ञानिकों को मिली. जिसके बाद चूहों पर इसका सफल परीक्षण करने के बाद इसका प्रयोग सैनिकों और खिलाड़ियों पर किया जाने लगा. जिससे उन्हें अधिक आक्रामक और शक्तिवर्धक बनाया जा सके. जर्मनी के बाद रूस और दुनिया के कई विकसित देशों ने भी जल्द ही इसमें कामयाबी हासिल कर ली और इनका जमकर प्रयोग ओलिंपिक के साथ-साथ सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में होने लगा.
यहाँ ये जानना बहुत ज़रूरी है कि 1968 में अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी (आई ओ सी) ने जब डोपिंग पर बैन लगाया और प्रतिबंधित दवाओं की पहली लिस्ट जारी की तो उसमें ‘स्टेरॉएड्स’ नहीं शामिल थे. ‘स्टेरॉइड्स’ को पहली बार 1976 में प्रतिबंधित दवाओं की लिस्ट में शामिल किया गया, जबकि इन्हें पकड़ने का सही तरीका 1983 में जर्मनी ने तैयार किया और तब तक इनके इस्तेमाल से तमाम विश्व और ओलिंपिक रिकार्ड्स बन चुके थे. ‘स्टेरॉएड्स’ को पकड़ने की इस तकनीक को ‘गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्र्री’ कहते हैं. इस तकनीक के आते ही सभी छोटे-बड़े खिलाड़ियों में हड़कंप मच गया क्योंकि इस तकनीक से उस समय प्रयोग किये जाने वाले लगभग सभी ‘स्टेरॉएड्स’ को पकड़ना आसान हो गया था. इन ‘स्टेरॉएड्स’ में एक ‘स्टेरॉयड’ था, ‘स्टेनाज़ोलोल’. इस ‘स्टेरॉयड’ को 1962 में बनाया गया था और इसके मांसपेशियों पर एनाबोलिक प्रभाव की वजह से ये बहुत जल्द खिलाड़ियों में लोकप्रिय हो गया था. ये वही ‘स्टेरॉयड’ था जिसका प्रयोग बेन जॉनसन लम्बे अरसे से करता चला आ रहा था. ‘गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्र्री’ तकनीक आने के बाद 1986 में प्रतिबंधित दवाओं की लिस्ट में ‘स्टेनाज़ोलोल’ को भी शामिल किया गया. इसकी जानकारी बेन जॉनसन के कोच चार्ली फ्रांसिस को भी थी, इसके बावज़ूद बेन जॉनसन ‘स्टेनाज़ोलोल’ का प्रयोग करता रहा, उसे लगा कि रेस के दिन तक ये उसके शरीर से निकल (वाश आउट) जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और अंत में वो पकड़ा गया. उस पर दो सालों का प्रतिबन्ध लगा दिया गया. हालाँकि इसके बाद बेन जॉनसन की जांच प्रक्रिया पर भी कई सवाल उठते रहे.
अब अगर उस समय बेन जॉनसन ‘स्टेनाज़ोलोल’ का प्रयोग न कर रहा होता या उसके शरीर से ‘स्टेनाज़ोलोल’ रेस के पहले ‘वाश आउट’ हो चुका होता और या फिर उस समय तक ‘गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्र्री’ की खोज न हुई होती तो आज उसका भी नाम कई नामचीन और प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में शामिल होता. अब यहाँ हैरान करने वाली बात ये है कि बहुत जल्द खिलाड़ी ‘गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्र्री’ की ख़मियों को भी भांप गए और उसके बाद ‘डिज़ाइनर स्टेरॉइड्स’ की खोज की गयी और अनुचित तरीके से रिकार्ड्स बनाने और मेडल्स जीतने का सिलसिला चलता रहा.
1991 में निलंबन समाप्त होने के बाद बेन जॉनसन ने फिर से खेलों में वापसी की और 1993 में मॉन्ट्रियल, कनाडा में होने वाली एक रेस के दौरान उसे एक बार फिर प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का दोषी पाया गया और उस पर आजीवन प्रतिबन्ध लगा दिया गया. कनाडा के तत्कालीन खेल मंत्री पियरे कौडियूक्स ने बेन जॉनसन को ‘राष्ट्रीय अपमान’ घोषित किया और उसे जमैका वापिस जाने के लिए कहा, 1999 में एक अधिनिर्णायक ने जॉनसन के आजीवन प्रतिबन्ध में प्रक्रियात्मक त्रुटि होने की बात कही जिससे उस पर लगा आजीवन प्रतिबन्ध तो हट गया लेकिन किसी भी खिलाड़ी को उसके साथ किसी भी रेस में हिस्सा न लेने की सख़्त हिदायत दी गयी. 1999 का अंत आते-आते एक बार फिर उसका डोप टेस्ट हुआ और वो फिर से दोषी पाया गया. इस तरह बेन जॉनसन का नाम खेल के इतिहास में एक कलंक बन कर रह गया.

डॉ. सरनजीत सिंह
फिटनेस एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट
लखनऊ

Dr Saranjeet Singh

Fitness & Sports Medicine Specialist

Lucknow

72 Comments

  1. Manish Shukla says:

    Great। Useful story

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  2. Ashutosh Satyam says:

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    Health and sports related topics

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    Very well compiled, brought back the memories of Seoul Olympics

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  7. अमित says:

    सही बात

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    Every week crores of blogs are created in this world but when it comes to Dr. Saranjit Singh , his every blogs are very important for this world, because he has given his whole life to health & fitness industry. Thus his blogs are known as Saran Baan.

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  9. Abhishek verma says:

    Very nice information sir..

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  10. SATISH MISHRA says:

    5 ओलम्पिक कवर करने और उसेन बोल्ट तथा कार्ल लुईस जैसे सैकड़ों धावकों को प्रत्यक्ष दौड़ते देखने के बाद दावे के साथ कह सकता हूँ कि पूर्व जर्मनी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब सारे देश अपनी ऊर्जा और शोध सिर्फ पकड़ में ना सकनेवाले “कॉकटेल” बनाने में लगे हैं। डॉक्टर साब, आप जिस तरह इस unique विषय को expose कर रहे हैं, उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। Keep it up

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  11. Mohammad hasan says:

    Dr. Sb bhot badya

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  12. Anushree Chandra says:

    This is where (Olympics) legends are made. They’ll have to remember what got them here. Say NO to steroids…
    Great article…

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  13. Ashutosh Jaitly says:

    Excellent analysis, very few people, who are related to sports or even medicos have this much of knowledge reg the steroids and it’s usages. Grt work Dr Saranjeet 👍🏻

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  14. Tarunesh kumar upadhyay says:

    So many interesting facfs that many of us still dont know, Thx to Dr. Saranjeet, its an eyeopener…

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  15. Mohd Mazhar Saleem says:

    डोपिंग के मायाजाल और ड्रग्स के इस्तेमाल को रोकने में सिस्टम की लाचारी पर प्रहार करता एक धारदार लेख। यह लेख अपने पीछे कई सवाल छोड़ जा रहा है।

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  16. Mridu V says:

    शानदार! डोपिंग ने किस किस को अपना शिकार बनाया और कैसे कैसे केस सामने आए ये पढ़ना बहुत रोचक है। आपके ब्लॉग का इंतजार रहता है सर।

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  17. Anshu says:

    Nice information sir

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  18. Adheesh Mukerji says:

    Thanks for sharing insight,most of the people are unaware of the same.Will look forward for similar blogs of Dr.Saranjeet going forward.

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  19. Munawar Anzar says:

    Zabardast, well explained

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  20. Samarth yadav says:

    Very well explained sir 👏 👍

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  21. Uday Pansare says:

    I have been following your articles, blogs, releases for more than a decade. I always find substance backed by real life stories and Stories backed by evidences.
    Amazing as always. Keep it up. Waiting for more such facts.
    Cheers..!!

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  23. Peeyush Mehta says:

    Very well articulated facts by a Renound Expert in the field of Sports and Nutrition!

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  24. Sudhanshu says:

    What a wonderful and informative article…really an eye opener

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  25. Very Precise and interesting knowledge about relationship of sports and steroids. Kudos to the writer. Please keep writing such nice article s.

    Thanks
    DR Ravi Sinha

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  26. Kuldeep Panwar says:

    डोपिंग का मायाजाल बेहद वृहद हो चुका है। अब स्टेरॉयड से कहीं आगे बढ़कर जीन डोपिंग तक बात पहुंच चुकी है। चीन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। डाॅक्टर सरनजीत आप जिस बड़े पैमाने पर डोपिंग के इस गड़बड़ घोटाले की पर्तें उधेड़ रहे हैं, वो प्रशंसनीय है। दुख ये है कि सरकार आप जैसे विषय ज्ञानियों की मदद लेने की बजाय एक से एक अज्ञानी का साथ लेती है। यही हमारे खेल में पिछड़ेपन का कारण भी है।

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  27. Danish Singh says:

    Thanks for sharing genuine information. Great work Sir.

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  28. Saurabh Kumar Dutt says:

    GREAT article sir !
    DOPING IS A DISEASE , it should be CURED !!

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  29. Sachin Tiwari says:

    Informative

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  30. Arjun singh says:

    Very nice

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  31. Sandeep Kumar says:

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  32. Dr.Alka Sinha says:

    Great information….keep sharing more

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  33. Atul Arora says:

    Technically rich and thought provoking information which is synonymous with Dr Saranjeet Singh. Bravo…Keep it up. Looking forward for more.

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  34. हिमांशु says:

    बहुत शानदार और तथ्यों के साथ विश्लेषण। जानकारी से भरा विश्लेषण इन दिनों कम ही पढ़ने को मिलता है। आपको बहुत-बहुत बधाई। उम्मीद है काफी कुछ नया सीखने को मिलेगा आपसे।

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  35. Hi Sir. I was your student in 1999. You helped me a lot in developing not just my body but also my personality. That thin boy who could not talk properly in 1999 followed u and joined Air Force and needed up being a film maker. It’s all your guidance on correct time. Thank u. I shall be always obliged to you sir 🙂 keep guiding and keep showering your love.

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  36. Dr BHASKAR SINHA says:

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