आप सभी को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” की हार्दिक शुभकामनायें.
मित्रों, योग का सही लाभ हम सिर्फ तभी उठा सकते हैं जब हम योग को सही तरह से समझेंगे. ज्यादातर हम जिसे योग कहते हैं वो योग नहीं बल्कि योग का एक बहुत छोटा सा अंग है जिसे योग-आसन कहते हैं और सिर्फ इन शारीरिक आसनों को करने से योग का पूरी तरह से लाभ नहीं उठाया जा सकता.
दरअसल योग का सही मतलब है दिमाग, शरीर और आत्मा का समनवय, जो सिर्फ योग आसन करने मात्र से नहीं आ सकता. इसके लिए योग के आठ अंगो को बनाया गया है. ये आठ अंग एक रोगी मनुष्य के पूरे शरीर, उसके प्राणों, उसके कोशो, तथा चक्रों पर अपना कार्य करके मनुष्य के शरीर को स्वस्थ बनाने में सहयोग करते हैं. ये आठ अंग हैं – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि.
मित्रों इन सभी आठ अंगो का विवरण यहाँ नहीं किया जा सकता लेकिन इन सभी आठों क्रियाओं को करने से ही मनुष्य का शरीर और आत्मा दोनों ही शुद्ध और पवित्र होते हैं और इनमें से किसी भी क्रिया के न करने से योग का पूरा लाभ नहीं उठाया जा सकता.
अब अगर इन शारीरिक आसनों की बात की जाय तो आजकल जिस तरह से इन्हे योग बता कर कराया जा रहा है वो योग के नियमों से बिलकुल भिन्न है. इन आसनों को करते समय सबसे पहले अपनी मांसपेशियों को शिथिल किया जाता है, फिर अपनी सांस पर और फिर अपने दिमाग को नियंत्रित किया जाता है. ये सब करने के लिए एकाग्रता की ज़रुरत होती है जिसे सड़क पर बैठ कर या हज़ारों की तादात में नहीं किया जा सकता. इसके अलावा यदि आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस या किसी अन्य प्रकार की जीर्ण रोग से पीड़ित हैं तो इन आसनों को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें अन्यथा इस तरह के योग से लाभ होने की बजाय नुक्सान होने का खतरा बढ़ सकता है. मेरे सुझाव में बाकि सभी व्याययमों की तरह योग को भी किसी विशेषज्ञ की देख रेख में ही करें और उससे पहले विशेषज्ञ की सत्यता की जाँच अवश्य कर लें. दुर्भाग्यवश इस तरह का अभ्यास बहुत कम देखा जाता है जिसकी वज़ह से योग के दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं. और ऐसा न करने पर आप न तो योग का सही अर्थ समझ सकते हैं और न ही इसका पूर्ण लाभ उठा सकते हैं. “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” पर कितने लोगों ने योग किया इसका रिकॉर्ड बनाने से योग का सही प्रचार नहीं होगा, इसके लिए ज़्यादा ज़रूरी है कि कितने लोग योग के महत्व को समझते हैं, इसे अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लेते हैं और स्वयं को योग में ढाल लेते हैं. ऐसा करने पर ही इस प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति का मूल समझा जा सकता है अन्यथा आने वाले दिनों में “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” सिर्फ एक दिवस बन कर रह जायेगा.
डॉ सरनजीत सिंह
(फिटनेस & स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट)
लखनऊ